आइए मिलते हैं सीधी बातचीत कार्यक्रम में लोक साहित्य मर्मज्ञ डॉ. अनीता शुक्ला जी से और बात करते हैं इस विषय पर । आप लोक साहित्य की प्रखर अध्येता है । अवधी लोक साहित्य में काफ़ी काम किया है आपने और लागातार कर रही हैं । लोक साहित्य जो अनगढ़ भले है पर भारतीय संस्कृति को अपने अंदर समाहित किए हुए है । बात करते उस साहित्य की जो शिष्ट साहित्य की आधारशीला है, उस लोक साहित्य की जो भोले भाले मानस का चितेरा है ,बावजूद इसके गूढ़ तत्वों को अपने अंदर संचित किए हुए है। यह साहित्य हमारे अक्षय भंडार हैं ।इस पर समय समय पर बातचीत होना अति आवश्यक है। हमारी विरासत को अगली पीढ़ी को सौंपना , उन्हें इसके महत्व को समझाना हमारा कर्त्तव्य है तो जुड़े और सुने लोक बात यूट्यूब चैनल पर मई 21 सायं 5:00 बजे….