विश्व हिंदी संगठन एक ऐसा संगठन है जिसमें सम्पूर्ण भारत वर्ष से हिंदी प्रेमी निःस्वार्थ भाव से एवं पूर्ण निष्ठा से निरंतर हिंदी भाषा की सेवा एवं प्रचार-प्रसार कर रहे हैं | हिंदी के स्वाभिमान व सम्मान की बात यहां की जाती है।
जब वैश्विक महामारी के कारण चारों ओर निराशा छाई हुई थी | सभी अपने घरों में सिमट कर रह गए थे| कहीं भी कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था, ऐसे समय में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ. आलोक रंजन पांडेय जी ने सम्पूर्ण भारत वर्ष से हिंदी प्रेमियों को एकत्र कर अपने एक उदात्त एवं विराट संकल्प – अर्थात सम्पूर्ण विश्व में हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार एवं हिंदी को अपना प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त कराने के शुभ मंतव्य को उनके समक्ष रखा | इसी उद्देश्य से गठन की स्थापना 11 जुलाई 2020 को प्रोफेसर डॉ. आलोक रंजन पांडे जी की अध्यक्षता में हुई| इसकी प्रथम ऑनलाइन मीटिंग 25 जुलाई 2020 को सम्पूर्ण भारत वर्ष से 25 सदस्यों की ग्रतिभागिता के स्राथ हुई थी और आज यह सदस्य संख्या फेसबुक, टेलीग्राम, व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से हजारों में पहुंच गई है और विदेशों से भी लोग निरंतर जुड़े रहे हैं | जिसके परिणाम स्वरुप
यह संगठन बड़ी तेजी से आभासी पटल के माध्यम से फल-फूल रहा है | इसी के परिणाम स्वरुप विश्व हिंदी संगठन का (ऑफलाइन ) प्रथम मिलन एवं सम्मान समारोह दिनांक 28 मार्च 2022 को दिल्ली में आयोजित किया गया जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. पूरनचंद टंडन, मुंबई विश्वविद्यालय के प्रो. करुणा शंकर उपाध्याय जी एवं दिल्ली की ही एक प्रतिष्ठित संस्था के अध्यक्ष आदरणीय गोयनिका जी के कर कमलों से सम्मान एवं पुस्तक विमोचन का कार्य संपन्न किया गया | इस प्रकार संगठन के छोटे-छोटे प्रयास निश्चित ही एक दिन बड़ा परिवर्तन लाएंगे क्योंकि यह प्रयास छोटा तो है किंतु इसका उद्देश्य महान है।
विश्व हिंदी संगठन के माध्यम से हिंदी भाषा, समस्त हिंदुस्तानी भाषाओं और बोलियों, लुप्त प्राय होती भाषा व बोली, प्रांतीय भाषाएं, लोक भाषा आदि को उनसे जुड़ी संस्कृति व साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य हो रहा है। हिंदी भाषा का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रह गया है – कहानी, कविता, अनुवाद, सिनेमा, विज्ञापन, साक्षात्कार,पत्रकारिता व अन्य साहित्यिक विधाओं से संबंधित कार्य भी निरंतर संपादित किए जा रहे हैं।
इस संगठन में संपूर्ण भारतवर्ष एवं देश-विदेश में रह रहे हिंदी प्रेमी व सेवी अपनी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करते हैं। प्रति सप्ताह संपूर्ण भारतवर्ष से सक्रिय सदस्यों की एक साप्ताहिक मीटिंग होती है जिसमें भाषाई अस्मिता व प्रचार प्रसार हेतु चर्चा होती है व विचार साझा किए जाते हैं एवं सम्बंधित कार्यक्रमों को आकार दिया जाता है |
आज वैश्वीकरण के दौर में भाषा, साहित्य और संस्कृति के विकास और उत्कर्ष के लिए विश्व हिंदी संगठन प्रो. आलोक रंजन पांडेय की के कुशल दिशा निर्देशन में भारत वर्ष में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयासरत है | सम्पूर्ण भारत वर्ष से जुड़े इस संगठन के सभी सक्रिय सदस्य आभासी पटल के माध्यम से बड़ी निष्ठा से निरंतर इन सभी कार्यों में संलग्न है | इस प्रकार भारतीय साहित्य, संस्कृति व भाषाई अस्मिता के लिए बहुत ही निश्चल आत्मीयता एवं पारदर्शिता के साथ निरंतर यह संगठन कार्य कर रहा है।
जय हिन्द ! जय हिंदी !
“हिंदी के नाम से मंच सजाया, पूरे विश्व में हिंदी का परचम लहराया”
विश्व हिंदी संगठन